Poaching (पोचिंग) खाना पकाने की एक नम (moist method) विधि है, इसमें अंडे तथा मछली जैसे पदार्थो को पानी ,सब्जी स्टॉक ,वाइन या दूध जैसे तरल में डुबोकर पकाया जाता है Boiling और Poaching दोनों ही विधि में हम पदार्थो उबालते है लेकिन Boiling करते वक्त तापमान को बढ़ाया भी जा सकता है हमारा ध्यान बस आइटम उबालने पर होता है। आमतौर पर poaching method में अंडे, मछली तथा फलो को ही पकाया जाता है।
वहीं Poaching (पोचिंग) में ध्यान दिया जाता है की जिस चीज को हम Poach कर रहे हैं उसकी शेप और न्यूट्रिएंट्स वेल्यू सामान रहे, उदहारण के लिए – अगर मछली के पीस को Poach कर रहे हैं तो हम इन्हे तेज गर्म पानी में नहीं डालेंगे नहीं तो ये टूट जायँगे या बिखर जायँगे। इसीलिय पोचिंग में पानी के तापमान का खास ध्यान देना पड़ता है। पोचिंग का तापमान बोइलिंग पॉइंट से थोड़ा कम होता है। अगर बोइलिंग तापमान 100 डिग्री सेल्सियस है तो पोचिंग का तापमान 90 – 95 डिग्री सेल्सियस के बीच होगा।
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Basic rules of poaching:
- खाद्य पदार्थो को तरल में पूरी तरह से डुबोया जाना चाहिए।
- जैसे ही खाद्य पदार्थ के साथ तरल उबलना शुरू हो जाता है,आंच कम करे।
- अगर आप पूरी मछली poach कर रहे है तो उसको थोड़ा ठन्डे तरल में डालना चाहिए।
- अगर आप कटी हुई fish डाल रहे तो उसको गरम तरल में भी डाल सकते है।
- Poach egg के लिए आपको पानी को एक बार boil कर लेना चाहिए उसके बाद में आँच कम कर लेना चाहिए और एक बार में एक ही egg बर्तन में डालें।
- Egg को poach करने के लिए तरल में vinegar और salt जरूर डालें ये egg को टूटने से बचाएगा।
- Poaching के लिए हमेशा fresh egg ही इस्तेमाल करे।
Advantages
- पोचिंग विधि में तरल पदार्थो के रूप में विभिन्न प्रकार के तरलो का उपयोग किया जा सकता है जैसे – स्टॉक, वाइन, दूध, सूप।
- भोजन अधिक पाचन योग्य हो जाता है।
- उच्च प्रोटीन वाले पदार्थो के लिए poaching अत्यधिक उपयुक्त method है जैसे – मछली,अंडे ।
Disadvantages
- poaching में निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- poaching भोजन के बड़े टुकड़ो के लिए उपयुक्त नहीं है।
- भोजन के कुछ स्वाद और पोषक तत्वों को नुकसान होता है।